छात्र-युवा अधिकार यात्रा : चंडीगढ़ से कोलकाता

नफ़रत नहीं अधिकार चाहिए

शिक्षा और रोज़गार चाहिए

दोस्तों नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा भाजपा सरकार ने 3 साल से अधिक का अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। लेकिन अच्छे दिनों का वादा करनेवाली इस सरकार ने एक ओर तो रोजगार कटौती में रिकॉर्ड कायम कर दिया तो दूसरी ओर इसने उच्च शिक्षा पर चौतरफा हमला कर दिया।

नवंबर 2013 में आगरा में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि ‘अगर भाजपा सत्ता में आई तो हर साल एक करोड़ नयी नौकरियां पैदा करेगी।‘ लेकिन आज वास्तविकता इसके ठीक उलट है। भारत की अर्थव्यवस्था आज ‘रोजगार विहीन विकास से रोजगार खत्म करने वाला विकास’ हो गई है। आइये रोजगारहीनता की विकराल स्थिति को आंकड़ों के आधार पर समझते हैं-

  • पिछले वर्ष 2015-16 में गहन श्रम क्षेत्रों में रोजगार की संभावनायें घटकर न्यूनतम पिछले आठ साल के न्यूनतम दर पर आ गई। इसमें 2009 के मुकाबले 84 प्रतिशत की गिरावट आई है। (टेलीग्राफ 18 मई 2017)
  • केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्रालय के आंकडों के अनुसार पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सूती और हस्तनिर्मित कपड़ा उद्योग के कुल 67 संगठित उपक्रम बंद कर दिए गए। इससे 17,600 लोग बेरोजगार हुए। छोटे पैमाने के वस्त्र उद्योगों में यह दृश्य और भी अधिक भयावह है।
  • जनवरी-अप्रैल 2016 के दौरान संगठित नौकरियों की संख्या 9.30 करोड़ दर्ज की गई थी। मई-अगस्त 2016 में यह आंकड़ा 8.90 करोड़ तक और सितंबर-दिसंबर 2016 में 8.60 करोड़ तक गिर गई। इस तरह महज एक वर्ष के अंदर ही संगठित नौकरियों की संख्या में करीब 70 लाख की कमी आ गई। (सीएमआईई, सैन्टर फॉर मॉनिटरिंग इण्डियन इकॉनोमी, 18 जुलाई 2017)
  • नोटबंदी के चलते जनवरी-अप्रैल 2017 के बीच करीब 15 लाख लोगों का रोजगार छिन गया। (सीएमआईई)
  • ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मुताबिक हर साल देश भर में तकनीकी संस्थानों से स्नातक होने वाले आठ लाख इंजीनियरों में से 60 प्रतिशत से अधिक बेरोजगार ही रहते हैं।
  • भारतीय रेलवे में अकेले केवल ग्रुप-डी में एक लाख से ज्यादा रिक्त पदों को भरने में यह सरकार बुरी तरह विफल रही।
  • आईबीपीएस के जरिये विभिन्न बैंकों में 2015 में बहाल हुए 24,604 क्लर्कों की संख्या 2016 में घटकर 19,243 तथा 2017 में 7,883 हो गई। बैंकों में पीओ इन वर्षों में व्रफमशः 12,434, 8,822 और 3,562 ही बहाल हुए। (आईबीपीएस के वेबसाइट से)
  • आईटी क्षेत्र की सभी प्रमुख कंपनियों में कर्मचारियों की भारी पैमाने पर छंटनी हुई है। कार्यकारी खोज फर्म ‘हेड हंटर्स इंडिया’ के अनुसार अगले तीन वर्षों में आईटी सेक्टर में नौकरी कटौती की दर सालाना 1.75 लाख से 2 लाख के बीच होगी। (14 मई, 2017)
  • रोजगार विनिमय कार्यालयों में पंजीकृत केवल 0.57 प्रतिशत लोगों (प्रति 500 में से केवल 3 लोग) को ही इस संस्था के जरिये नौकरी मिली है। (इंडियन एक्सप्रेस, 26 जुलाई, 2017)
  • बहुप्रचारित ‘स्किल इण्डिया’ योजना के तहत 2014-15 में लगभग साढ़े चार लाख पंजीकृत नौजवानों में से महज 19 प्रतिशत को ही विविध क्षेत्रों में रोजगार मिल सका।
  • 2017 के जनवरी से सितंबर तक कुल 800 स्टार्टअप चल रहे हैं। पिछले साल इसी समय-सीमा में यह 6,000 थे। बाकी के सब बंद हो चुके हैं।

मोदी सरकार द्वारा ‘अच्छे दिन’ ‘विकास’ और ‘देशभक्ति’ की माला जपना बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के लिए महज एक मजाक बनकर रह गया है

सिलसिला आज एक संपूर्ण आकार लेकर देशभर के छात्रों के भविष्य को ख़तरे में डाल दिया है। इससे आज देश के छात्रों का भविष्य यहां की शिक्षा का भविष्य दूसरी ओर, सत्ता संभालते ही मोदी सरकार ने उच्च शिक्षा और शैक्षणिक संस्थानों पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है। हमलों का यह और इसलिए हमारे देश का भविष्य पर संकट आ रहा है-

  • भारी फीस-वृद्धि: सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों के लिए भारी फंड कटौती कर छात्रों से भारी फीस वसूलने का फरमान जारी किया है। इसके चलते देशभर में कॉलेजों-विश्वविद्यालयों की फीस में दोगुना से भी अधिक की बढ़ोतरी कर दी गई है। यूजीसी ने 2 जून 2017 को एक दिशा-निर्देश जारी कर संस्थानों में सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्सेज़ का फरमान जारी किया है। ऐसे कोर्स के लिए पूरा खर्च छात्रों को ही वहन करना पड़ेगा।
  • सीटों की कटौतीः उच्च शिक्षा और शोध से छात्रों को बेदखल करने के लिए यूजीसी नोटिफिकेशन- 2016 द्वारा सभी शोध-संस्थानों में भारी सीट कटौती की गई है। अकेले जेएनयू में इस वर्ष शोध सीटों में 84 प्रतिशत की कटौती की गई है। उच्च शिक्षा व शोध बंद कर यह सरकार चाहती है कि छात्र ज्ञान नहीं सिर्फ ‘स्किल’ जुगाड़ें और FDI में खटें!
  • नेट में कटौतीः साल में दो बार होने वाली नेट परीक्षा को घटाकर एकबार कर दिया गया है। नेट और जेआरएफ की सीटों में भी कटौती कर दी गई है।
  • छात्रवृत्ति कटौतीः केन्द्र की भाजपा सरकार और कुछ राज्य सरकारों द्वारा छात्रों को दी जा रही छात्रवृत्ति की रकम में कटौती की गई या तो उसे ख़त्म किया जा रहा है।
  • शिक्षा में सुनियोजित भगवाकरणः नियुक्ति, नियंत्रण, पाठ्यक्रमः शैक्षणिक संस्थानों को तबाह करने के लिए, शिक्षा को ज्ञान-विज्ञान और तर्क से काटकर अंधविश्वास और कूपमंडूकता में धकेलने के लिए भाजपा सरकार शिक्षा में सुनियोजित भगवाकरण के एजेण्डे पर चल रही है। संस्थानों के प्रमुख पदों पर भाजपा-संघ के प्रति वफादार लोगों की नियुक्तियां हो रही हैं, योग्यता और अनुभव कोई पैमाना नहीं है। संस्थानों के संचालन और पाठ्यक्रमों में भी भाजपा-संघ की विभाजनकारी नीतियों को जबरन ठेला जा रहा है।
  • कॉलेजों में नहीं हैं गुरु, भारत कैसे बनेगा विश्वगुरुः देश भर के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। अधिकांश संस्थानों में कुल वांछित पदों में 50-70 प्रतिशत तक पद रिक्त हैं।
  • लड़ेगी बेटी, पढ़ेगी बेटी, बढ़ेगी बेटीः 22 सितम्बर बीएचयू की छात्राओं ने महिला आजादी, बराबरी और सुरक्षा की माँग को लेकर वहां के लंका गेट पर एक ऐतिहासिक आंदोलन शुरू किया। स्वयं को आरएसएस का सदस्य बताने वाले बीएचयू कुलपति जीसी त्रिपाठी ने आंदोलनरत छात्राओं की बात सुनने के बजाय उनपर लाठीचार्ज करवा दिया। वे लिंगभेद और यौन उत्पीड़न से मुक्ति तथा स्वायत्त जीएसकैश (GSCASH) की मांग कर रही थीं। इसी समय जेएनयू वीसी जगदीश कुमार ने जीएसकैश संस्था को खत्म कर दिया है। हम देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में महिला आजादी, बराबरी और सुरक्षा के साथ-साथ स्वायत्त जीएसकैश की मांग के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 

 

देश के युवाओं को रोजगार से और छात्रों को उच्च शिक्षा व शोध से बेदखल करने वाली इस सरकार की प्राथमिकता में क्या है!

  • 2013-14 में शिक्षा पर कुल केन्द्रीय बजट का 57% खर्च को 2016-17 में घटाकर 3.65% कर दिया गया।
  • वर्ष 2016-17 में बड़े कॉर्पोरेट्स को दी गई टैक्स छूट 83,492 करोड़ रुपये है। इतने पैसे से देश में जेएनयू जैसे सस्ते और गुणवत्तामूलक 491 विश्वविद्यालय चल सकते थे।
  • ‘इंडिया रेटिंग्स’ संस्था के मुताबिक 2016 मार्च तक बैंकों द्वारा बड़े कॉर्पोरेट्स को दिए गए लोन में से 13 लाख करोड़ रुपये लगभग वापस न मिलने वाले ‘बैड लोन’ की श्रेणी में आ गये। (डीएनए, 13 मई 2016) ये पैसा शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में खर्च क्यों नहीं हो सकता है!

इसलिए हमें यह सवाल उठाना ही चाहिए कि-

भाजपा सरकार की देशभक्ति का ये कैसा पैमाना       

छात्रों-युवाओं के भविष्य पर हमला, कॉर्पोरेट को खजाना

दोस्तों, आख़िर क्या वजह है कि ‘देशभक्ति’ पर अपनी छाती ठोंकने वाली यह सरकार अपने ही देश के छात्र-युवाओं को तबाह करने पर तुली है! दरअसल, ग्लोबल कैपिटल यही चाहता है कि हमारे युवा बेरोजगारों की फौज में तब्दील हो जायें जिससे उन्हें अपनी शर्तों पर सस्ते मजदूर मिल सके। दूसरी ओर, वे चाहते हैं कि हमारी शिक्षा-व्यवस्था और शोध-संस्थान तबाह हो जायें और वे शिक्षा बेचें। उन्नत देश शोध करें और भारत जैसा विकासशील देश उनका ख़रीददार और शिकार बनें। इस सरकार को रोजगारयुक्त युवा अथवा उच्च शिक्षा से लैस छात्रों की पीढ़ी नहीं बल्कि विश्व पूँजी के लिए सस्ते श्रमिक चाहिए।

सरकार द्वारा शिक्षा-रोज़गार को तबाह करने तथा बड़े कॉरपोरेट्स को अंधाधुंध मुनाफा पहुँचाने पर देश की जनता सवाल न उठा सके इसलिए समाज में साम्प्रदायिक ज़हर और नफरत की राजनीति शुरू कर दी गई है। शिक्षा और रोजगार छिनकर ‘गो-रक्षा’, ‘राममंदिर’, ‘हिन्दू-राष्ट्र’, ‘लव-जिहाद’, ‘ताजमहल तोड़ो’, ‘मॉब लिंचिंग’ जैसे अभियानों द्वारा युवाओं के हाथ में त्रिशूल थमा देने की साजिश रची जा रही है। मोदी सरकार ‘बाँटों-लूटो-राज करो’ की ब्रिटिश चाल को दोहरा रही है। देश की एकता, अखंडता और आत्मनिर्भरता की बुनियाद- शिक्षा व रोजगार को विदेशी पूँजी के हवाले करना कौन-सी ‘देशभक्ति’ है!

साथियो! शिक्षा और रोजगार हमारे देश की स्वतंत्रता और उसके आत्मनिर्भर विकास की बुनियाद है। मोदी सरकार से शिक्षा व रोज़गार की इस लूट का हिसाब माँगने और इनकी नफरत की राजनीति का पर्दाफाश करने के लिए आगामी 7 नवंबर से चंदीगढ़ से शुरू होने जा रही आइसा-इनौस की ‘छात्र-युवा अधिकार यात्रा’ में हिस्सा लें। विभिन्न राज्यों के विभिन्न केन्द्रों से होती हुई यह यात्रा 21 नवंबर को कोलकाता पहुँचेगी।

इस अभियान की मार्फ़त आइए हम आवाज़ उठाएं कि –

  • रोजगार के अवसरों पर हमले बंद करो! सलाना एक करोड़ नौकरी का वादा निभाओ!
  • सभी सरकारी नौकरियों में रिक्त पदों को अविलंब भरो!
  • ठेकाकरण नहीं, सुनिश्चित व सम्मानजनक रोज़गार की गारन्टी करो!
  • शिक्षा में फीस वृद्धि, सीट कटौती, नेट कटौती, फंड कटौती की नीति पर रोक लगाओ!
  • कैम्पस लोकतंत्र और सामाजिक न्याय पर हमला बंद करो!
  • कॉर्पोरेट को छूट और कॉर्पोरेट लूट बंद करो! शिक्षा-रोजगार का बजट बढ़ाओ!
  • महिलाओं की आज़ादी, बराबरी और सुरक्षा की गारन्टी करो! सभी संस्थानों में स्वायत्त जीएसकैश (GSCASH) बनाओे!
  • सांप्रदायिक व जातिगत भीड़-हिंसा पर रोक लगाओ!

पहले युवाओं को बेरोजगारी में धकेलो, फिर उनका मजाक उड़ाओ!

भाजपा मंत्री पियूष गोयल का संवेदनहीन और शर्मनाक बयान

6 अक्टूबर 2017 को एक कार्यक्रम में रेलमंत्री पियूष गोयल ने कहा कि – “अगर देश के टॉप 200 कंपनियों में नौकरियां कम हो रही है तो यह ‘शुभ संकेत’ है। क्योंकि आज हमारे देश के युवा नौकरी की चाह रखने वाले नहीं बल्कि दूसरों को नौकरी देने वाले बन रहे हैं। आज हर कोई उद्योगपति बनना चाहता है।”

 

ऑल इंडिया स्टूडेण्ट्स एसोसिएशन (आइसा)            इंक़लाबी नौजवान सभा

 

 

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