प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और DoPT का नया फरमान

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देश के 10 महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों के संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति के लिए आज भाजपा सरकार ने विज्ञप्ति जारी की है। ये अफसर श्रेणी के वो पद हैं जो देश के लिए नीतियाँ बनायेंगे।

  1.  विज्ञापन में कहा जा रहा है कि ये नियुक्तियाँ बगैर किसी परीक्षा की होंगी!
  2. इन नियुक्तियों में SC, ST, OBC और PH आरक्षण लागू नही होगा!
  3. आवेदक किसी प्राइवेट या विदेशी कंपनियों से जुड़े अधिकारी भी हो सकते हैं!

भाजपा मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने कहा था कि BJP सत्ता के इसलिए आई है कि वो इस देश का संविधान बदल सकें! आज देश में एक-एक कर सभी संवैधानिक उसूलों का गला घोंटा जा रहा है। इस विज्ञापन द्वारा देखिये कि कैसे संविधान की कसमें खाकर बनी सरकार उसी संविधान की धज्जियाँ उड़ा रही है-

  1. सरकार द्वारा इन पदों पर सीधी बहाली करना संविधान के अनुच्छेद 315 से 323 का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि क्रमशः केंद्रीय और राज्य लोक सेवा आयोग ही केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को नियुक्त करेगा!
  2. विज्ञापित पदों पर आरक्षण न देना अनुच्छेद 15 (4) का सीधा उल्लंघन है, जिसमें सरकार द्वारा वंचितों के लिए विशेष प्रावधान का उल्लेख है। अनुच्छेद 16 (4) के अनुसार जिस स्तर पर वंचित समुदायों के लोग पर्याप्त संख्या में नहीं हैं, उन स्तरों पर आरक्षण दिया जाएगा। ज्वांयट सेक्रेटरी लेबल पर चूंकि SC,ST, OBC के लोग पर्याप्त संख्या में नहीं हैं, इसलिए उनकी नियुक्ति में आरक्षण न देना 16(4) का स्पष्ट उल्लंघन है। अनुच्छेद 15 और 16 मूल अधिकार हैं। यानी सरकार नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन कर रही है!
  3. किसी प्राइवेट या विदेशी कंपनी के अफसरों को सीधे-सीधे देश के मंत्रालयों के इतने महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त कर सरकार देश की सरकारी नीतियों को निजी व कॉरपोरेट हाथों में सौंप रही है! जाहिर है जहां कोई परीक्षा नहीं होनी है,वहाँ नियुक्तियाँ पूरी तरह राजनीतिक वफ़ादारी के आधार पर होगी। अर्थात देश के विभिन्न मंत्रालयों में BJP अपने लोगों को भरना चाहती है!

ब्यूरोक्रेसी के शीर्ष पदों के प्रति वर्तमान सरकार का रवैया न सिर्फ आरक्षण-विरोधी और आभिजात्यवादी है बल्कि यह ब्यूरोक्रेसी की निष्पक्षता और संवैधानिक स्वीकार्यता को भी ख़त्म कर अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है! उपर्युक्त विज्ञापन के अलावा सरकार ने पहले भी UPSC की सीटों और उसकी गरिमा में कटौती का काम किया है! इसके दो उदाहरण-

  1. इस वर्ष UPSC द्वारा निकाली गई रिक्तियों को 1,291 (2014) से घटाकर 782 कर दिया गया। यह सीटों में 40% की कटौती है!
  2. DoPT ने कुछ दिनों पहले एक सर्कुलर जारी कर कहा कि IAS, IFS, IPS, IRS जैसे पदों पर नियुक्तियाँ UPSC परीक्षा के मेरिट के आधार पर नहीं, बल्कि ट्रेनिंग के दौरान ओरिएंटेशन प्रोग्राम के आधार पर होना चाहिए! ऐसा कर वह निर्णायक प्रशासनिक पदों पर अपने राजनीतिक रूप से वफादार लोगों को नियुक्त करना चाहती है!

यह साफ है कि आज संविधान प्रदत्त आरक्षण की धज्जियाँ उड़ा कर, देश के श्रेष्ठ प्रशासनिक पदों पर प्राइवेट व विदेशी कंपनियों के अधिकारियों को आमंत्रित किया जा रहा है। UPSC जैसे संवैधानिक संस्था की स्वायत्तता को नष्ट कर संविधान की आत्मा को जड़ से खोदने की साज़िश की जा रही है! इसका पुरजोर विरोध होना चाहिए! आप भी अपनी आवाज़ बुलंद कीजिये!

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