मोदी के गुजरात मॉडल का नया निशाना : “प्रवासी मजदूर”

People boarding train
Migrant workers fleeing

पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने राज्य गुजरात से उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश के मजदूरों को “आउटसाइडर” बताकर भगाया जा रहा, हिंसक हमले किये जा रहे हैं। 28 सितम्बर को गुजरात के साबरकांठा जिले में प्रवासी मजदूर द्वारा कथित तौर पर नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार की घटना हुई। घटना के बाद गुजरात के साबरकांठा, पाटन, मेहसाणा, गांधीनगर व अरावली जैसे जिलों में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों पर रॉड, पत्थर से हमले शुरू हो गए। उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर घृणित सूचनाएं फैलाई जा रही है।

गुजरात से हो रहे इस व्यापक पैमाने पर पलायन के बारे में राज्य पुलिस व संघ गिरोह बेशर्मी से कह रहा है कि लोग दिवाली और छठपूजा मनाने के लिए जा रहे हैं। इससे बेतुकी बात और क्या हो सकती है कि अभी इन त्योहारों में महीने भर से ज्यादा समय है और अधिकतर मजदूर त्योहारों के कुछ ही दिन पहले घर जाते हैं। इसके बावजूद गुजरात पुलिस ने प्रवासी मजदूरों पर हमले से संबंधित 342 लोगों को गिरफ्तार किया है। यदि सच में गुजरात में सब सही ही चल रहा है तो ये गिरफ्तारियां क्यों?

दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि मोदी के ‘विकास’ से ईर्ष्या रखने वाले लोगों द्वारा पलायन और हिंसा की अफवाहें फैलाई जा रहीं हैं। समझ नहीं आता कि ये उत्तर प्रदेश की जनता के मुख्यमंत्री हैं या मोदी के ‘गुजरात मॉडल’ के प्रचारक?
मध्यप्रदेश में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कहते हैं कि मध्यप्रदेश के नौजवानों, श्रमिकों को रोजगार इसलिए नहीं मिल पर रह हैं क्योंकि घुसपैठिए उनके रोजगार को छीन ले रहे हैं।

आजकल भाजपा नेताओं के साथ-साथ गुजरात में कांग्रेस नेताओं द्वारा भी प्रवासी मजदूरों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं।

“गुजरात मॉडल” जुमला है

गुजरात के बागोरिया जिले के उप-अधीक्षक एच०डी० मेवाड़ा ने इस बात को माना है कि गुजरातियों की भावनाओं को भड़काने के लिए प्रवासी मजदूरों द्वारा गुजरातियों के रोजगार के अवसरों को हड़पने का घृणित अभियान चलाया गया था। मोदी के चर्चित ‘गुजरात मॉडल’ में राज्य के स्थानीय युवाओं को भी सम्मानजनक रोजगार देने में सरकार नाकाम रही। इस विफलता और वादाखिलाफी के खिलाफ जनता के बीच उमड़ रहे ज्वार को बड़ी ही शातिर तरीके से अब ‘प्रवासी मजदूरों की तरफ मोड़ दिया गया है। यह तिकड़म गुजरात में पहली बार नहीं रचा गया है। किसानों, युवाओं से किए गए वादों, कृषि संकट, बेतहाशा बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों के से ध्यान भटकाने के लिए धार्मिक अल्पसंख्यक(2002, गुजरात दंगा), दलित (उना, बर्बरता) और अब प्रवासी मजदूर या ‘आउटसाइडर’ जैसे मुद्दों को गढ़ने में भाजपा-आरएसएस को महारथ हासिल है।
हिंसा झेल रहे प्रवासी मजदूरों को अभी तक गुजरात, उ०प्र०, बिहार व म०प्र० में शासनरत भाजपा सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया गया है।

बांटो-भटकाओ और राज करो

यह बात स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार कृषि संकट, बेरोजगारी, महंगाई, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने समेत सभी मोर्चों में पूर्णतया विफल रही है। अब इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा व संघ गिरोह हर रोज ‘देशद्रोही’, ‘अर्ध-माओवादी’, ‘शहरी नक्सल’, ‘बांग्लादेशी घुसपैठिये’ (जिसकी लिस्ट और लंबी है) जैसे नए हवाई दुश्मन खड़े कर रहा है।
वर्तमान में यह फासीवादी सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए “बांटो-भटकाओ और राज करो!” का एजेंडा अपना रही है।

हाल ही में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया है कि “लाखों घुसपैठिये देश को दीमक की तरह खा जाना चाहते हैं।” शाह की इस बात में मुख्य रूप से मुस्लिम अप्रवासी, शरणार्थी समेत भारतीय मुस्लिम नागरिक निशाने पर थे। नागरिकता संशोधन विधेयक से साफ जाहिर होता है कि विस्थापन व नागरिकता के मुद्दे को सरकार साम्प्रदायिक ढांचे के आधार पर निपटाना चाह रही है। जिसमें मुस्लिमों को बाहर कर उनके साथ द्वयम दर्जे के नागरिक की तरह बर्ताव किया जाएगा। असम में एनआरसी गणना को भी भाजपा सांप्रदायिक बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा के नेता यह मांग कर रहे हैं कि असम के अलावा बंगाल समेत अन्य राज्यों को भी एनआरसी गणना के अंतर्गत लाया जाए। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि उस खास समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है जिसे भाजपा-आरएसएस व्यवस्थित ढंग से “बांग्लादेशी घुसपैठिए” के रूप में प्रचारित कर रही है।

भाजपा और संघगिरोह की राजनीति पूर्णरूप से ‘आउटसाइडर’/ ‘घुसपैठिए’ जैसे मुद्दों पर तिकी हुई है। अब इनकी राजनीति का नया मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘स्वप्नभूमि’ गुजरात से उभर कर आ रहा है।

हम लोगों को इस नफरत, साम्प्रदायिकता और बांटो-भटकाओ-राज करो की राजनीति के खिलाफ लड़ना होगा। हमारे लोगों की संप्रभुता, मानवाधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होना है और उन्हीं के देश में उनके साथ हो रहे दूसरे ग्रह के प्राणियों जैसे बर्ताव को खत्म करना है।

To support AISA, Click here to donate.

admin

Leave a Reply