आर एस एस बीजेपी की सांप्रदायिक नीतियों को नकारने के लिए झारखंड के लोगों को बधाई!
भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जनादेश देने के लिए हम झारखंड के लोगों को बधाई देते हैं. झारखंड चुनाव के परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी की नफरत, अंध राष्ट्रवाद और विभाजनकारी नीतियों को नकार कर क्षेत्रीय मुद्दों को प्राथमिकता दी है. बीजेपी को यह हार तब मिली है जब उसका उग्र चुनाव प्रचार नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और मुख्यमंत्री रघुवर दास की अगुवाई में चल रहा था और जो धारा 370, राम मंदिर जैसे मुद्दों के रथ पर चढ़कर विजय का सपना देख रहे थे. सत्ताधारी बीजेपी सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई और अपने ही नारे ‘अबकी बार-65 बार’ को नहीं छू पाई. यह जनादेश भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य सरकारों की जनविरोधी नीतियों का परिणाम है. हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद झारखंड भी उस लिस्ट में शामिल हो गया है जहां बीजेपी अपना पिछला चुनाव प्रदर्शन बरकरार नहीं रख पाई है. एनडीए की केंद्र में दोबारा सरकार बनने के बाद भी राज्यों में लोगों ने बीजेपी का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है.
झारखंड का चुनाव उस दौर में हो रहा था जब रघुवर दास की बीजेपी सरकार में यह राज्य 20 से अधिक मॉब लिंचिंग के केस पिछले 5 सालों में देख चुका था. हम अभी भी 24 वर्षीय तबरेज अंसारी का वह वीभत्स चित्र नहीं भूल सकते जिसमें उसकी झारखंड के सरायकेला खरसावां में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. बीजेपी ने राम मंदिर और धारा 370 के मुद्दे को खूब भुनाने की कोशिश की पर वह सफल नहीं रही. रघुवरदास सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आदिवासियों और गैर आदिवासियों में भयंकर असंतोष था. छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट 2016 में हुए बदलाव की वजह से आदिवासियों और राज्य के अन्य नागरिकों में तभी से गुस्सा था. आदिवासी आंदोलन और पत्थरगढ़ी आंदोलन के नेताओं पर राजद्रोह का केस लगाने वाली बीजेपी सरकार का आदिवासी विरोधी चेहरा सबके सामने था. नौजवानों के बीच भयंकर बेरोजगारी और राज्य स्तर प्रतियोगी परीक्षाओं के असफल होने से भी लोगों में और खासकर युवाओं में भयंकर गुस्सा था और तो और बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अपनी सीट तक नहीं बचा सके. उन्हें बीजेपी के ही बागी नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री सरयू राय जो निर्दलीय लड़े थे, उन्होंने पूर्व जमशेदपुर सीट से हरा दिया. यह चुनाव बीजेपी के चुनाव प्रचारकों के सांप्रदायिक भाषणों से भरा था. बीजेपी के कैंडिडेट वीरेंद्र मंडल की जमात्रा रैली में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि कोई इरफान अंसारी जीतेगा तो मंदिर तो नहीं ही बनाएगा इसके लिए तो केवल वीरेंद्र मंडल चाहिए ना. अब यह चुनाव परिणाम बताता है कि जामात्रा के लोगों ने सांप्रदायिक नीतियों को नकार कर वीरेंद्र मंडल को 38000 वोटों से हराया तथा कांग्रेस के इरफान अंसारी को जिताया. झारखंड चुनाव परिणाम का रिजल्ट यह बताता है अब बीजेपी-आरएसएस के घृणा, नफरत तथा सांप्रदायिकता के राजनीतिक मॉडल को लोगों ने नकारना शुरू कर दिया है.
भाकपा माले के कॉमरेड विनोद सिंह की तत्कालीन बीजेपी विधायक नागेंद्र महतो पर बगोदर सीट से 15,000 से अधिक वोटों से जीत अंधेरे समय में रोशनी दिखाती है. झारखंड चुनाव परिणाम ऐसे समय में आया है जब पूरे देश में सांप्रदायिक, फासिस्ट और अलोकतांत्रिक सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट और एनआरसी के खिलाफ पूरे देश में भयंकर जन आंदोलन हो रहे हैं. सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट और एनआरसी को देश के सेक्युलर लोकतांत्रिक ढांचे पर भयंकर हमले के तौर पर देखा जा रहा है. संविधान के मूल ढांचे को बचाने के लिए कॉमरेड विनोद से झारखंड विधानसभा में यह प्रस्ताव करेंगे कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एनआरसी और सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट राज्य में कहीं भी लागू नहीं होगा. यह उनका मुख्य चुनावी मुद्दा भी था जिसको वह लगातार चुनाव अभियानों में उठाते रहे थे. बगोदर के लोगों ने CAA-NRC-NPR के सांप्रदायिक चरित्र को नकारा है. कॉमरेड विनोद सिंह झारखंड के प्रवासी मजदूरों की आवाज को मुखरता से उठाएंगे. यह काम उनकी मुख्य प्राथमिकता में है. भाकपा माले राज्य के ठेका मजदूरों कि लंबे समय से अधूरी पड़ी मांगों को उठाएगी साथ ही साथ पैरा टीचर की मांग भी शामिल होगी जो पिछली रघुवर दास सरकार के दौरान बहुत बुरी तरह से नकार दी गई तथा शिक्षकों को धोखा और निराशा हाथ लगी. भाकपा माले राज्य के मजदूरों आदिवासियों शिक्षकों और तमाम नौजवानों की लंबे समय से अधूरी जरूरतों और मांगो को मजबूती से उठाएगी. विनोद सिंह विधानसभा और सड़क दोनों जगह जनता की मजबूत आवाज बनेंगे. आने वाले दिनों में भाकपा माले विनोद सिंह के नेतृत्व में जल जंगल जमीन कारपोरेट लूट भाजपा-आरएसएस की सांप्रदायिक नीतियों का मुखर रूप से विरोध करेगी.
भाजपा को नकारने के लिए और हमें आगे का रास्ता दिखाने के लिए झारखंड के लोगों को हूल जोहार, जल-जंगल-जमीन की लड़ाई के साथ संविधान को बचाने की लड़ाई सदैव चलती रहेगी.
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