बल्लभगढ़ मॉब लिन्चिंग पर भाकपा (माले), आइसा जांच टीम की रिपोर्ट
22 जून की रात एक लोकल ट्रेन ईएमयू से दिल्ली से बल्लभगढ़ जा रहे एक 15 साल के मुसलमान युवक जुनैद को ट्रेन में आवारा भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला. इसमें उसके भाई हाशिम और शाकिर भी बुरी तरह से घायल हो गए.
हाशिम को हॉस्पिटल से घर भेज दिया गया जबकि शाकिर अभी एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती है. नीरज (दिल्ली आइसा सचिव), संतोष राय (भाकपा माले दिल्ली राज्य कमेटी सदस्य एवं एक्टू दिल्ली महासचिव), जीशान अहमद (दिल्ली भाकपा माले) एम्स ट्रॉमा सेंटर में इलाजरत शाकिर से मिले. शाकिर का बेड न. 2 सुनते ही गार्ड ने उन्हें बाहर जाने को कह दिया। कारण पूछने पर बताया यह बबाली मरीज है, इनसे मिलने देने से मुझे मना किया गया है। आधे घंटे के प्रतिरोध के बाद उन्हें मिलने दिया गया। उनलोगों ने वहां शाकिर से बात की तथा शाकिर ने उन्हें अपने घर का पता और अपने वालिद का नाम भी बताया.
25 जून की सुबह भाकपा (माले)- आइसा की टीम उनके परिजनों से मिलने उनके घर गयी. टीम में आइसा के राष्ट्रीय महासचिव संदीप सौरभ, जेएनयू आइसा की कार्यकर्ता गीता, दिल्ली भाकपा (माले) कार्यकर्त्ता जीशान अहमद और हरियाणा में भाकपा (माले) सदस्य कॉमरेड अनिल थे. यह रिपोर्ट इस टीम द्वारा जुनैद के भाई हाशिम व उनके अन्य परिजनों, पड़ोसियों और उसके दोस्तों से हुई बातचीत के आधार पर तैयार की गयी है.
हरियाणा के बल्लभगढ़ से तक़रीबन 4 किमी दूर स्थित खंदावली गांव के रहने वाले जलालुद्दीन के परिवार के लिए आने वाली ईद की ख़ुशी का मौक़ा अचानक से गम और मातम से भर गया. उनके परिवार का होनहार लड़का जुनैद जो मेवात के नुह के एक मदरसे, फैज़-ए-सुभानिया में पढ़ता था, ईद की छुट्टी में घर आया था. उसने कुरान की पूरी पढाई पढ़ ली थी और यह उसके लिए हाफ़िज़ कहलाने का मौक़ा था. ईद का त्यौहार भी सामने था. घरवालों ने ख़ुशी-ख़ुशी अपने बच्चों को बाज़ार से कपड़े आदि खरीदने को पैसा दिया और ईद की तैयारी में लग गए. जुनैद की माँ का रो रोकर बुरा हाल था जबकि हाशिम एक कमरे में बिस्तर पर लेटा था. हमारी टीम को उनसे मिलवाया गया.
जुनैद के भाई हाशिम ने हमें बताया कि-
” हाशिम अपने सगे भाई जुनैद और दो पड़ोस के दोस्तों मोईन और मोहसिन के साथ दिल्ली आये थे. ईद के लिए कुछ सामान खरीदने को. बल्लभगढ़ से दिल्ली आने में ट्रेन से तक़रीबन 45 मिनट लगते हैं. शाम को सदर बाज़ार से सामान खरीद के चारों लोग ट्रेन से वापस घर लौट रहे थे. हम लोग सदर से ट्रेन में चढ़े थे. तब तक ट्रेन काफी खाली थी. ट्रेन में धीरे-धीरे भीड़ बढ़ रही थी. हम चार लोग थे तो आमने-सामने बैठ गए. कुछ देर बाद 70-80 साल का एक बुजुर्ग ट्रेन में चढ़े और उन्हें जगह देने के लिए जुनैद ने अपनी सीट छोड़ दी. ओखला स्टेशन से ट्रेन में कुछ धक्का मुक्की शुरू हुई. वहां से उस डब्बे में बीस-पच्चीस लोग एक साथ चढ़े थे. जुनैद खड़ा था और अचानक से इस धक्का मुक्की में वह ट्रेन की फर्श पर गिर गया. उसने और मैंने (हाशिम) उनलोगों से कहा कि धक्का न मारे. इतने पर उसमें से एक ने मेरी टोपी छीन के नीचे फेंका और अपने पैरों से दबा दिया. इसके बाद उन्होंने मेरी दाढ़ी पकड़ ली. हमने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने मारपीट शुरू कर दी. वे चिल्लाने लगे कि ये मुसलमान हैं, देशद्रोही हैं और ये गाय खाते हैं. इसके बाद ट्रेन के उस डब्बे में सवार लोग भी तक़रीबन उनके साथ हो लिए. किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की. वे 10-15 लोग थे और हम चारों को बुरी तरह से पीट रहे थे. तुगलकाबाद स्टेशन के बाद मैंने अपने भाइयों को फ़ोन करके ये बताया और वो लोग बल्लभगढ़ स्टेशन आये. लेकिन बल्लभगढ़ में जब ट्रेन रूकी तो उनलोगों ने हमें उतरने नहीं दिया. उन सबने मिलकर हम चारों को पकड़ रखा था. उसके बाद हमें लेने आये बड़े भाई शाकिर और कुछ और दोस्त उसी डिब्बे में चढ़ गए. इसके बाद उन्होंने उनके साथ भी मारपीट शुरू कर दी. बल्लभगढ़ से जैसे ही ट्रेन खुली उनमें से एक ने चाकू निकाल ली. उसके पास नुकीले फाल (दांत) वाली चाकू थी. इससे उन्होंने शाकिर पर हमला किया. चाकू से मार कर वह उसे अन्दर ही घुमा रहा था. उन्हें बचाने जब मैं और जुनैद गए तो उन्होंने हमपर भी (जुनैद और हाशिम पर ) चाकू से वार किया. अगला स्टेशन असावटी था. वहां से करीब 10 मिनट की दूरी पर. पर इतने ही समय में उन्होंने मेरे भाई जुनैद को मार डाला.”
जब हमलोग हाशिम से बात कर रहे थे तब वह बिस्तर पर लेटा हुआ था. उसे भी कई जगह चाकू लगे थे. कंधे पर, जाँघों पर और पैर में. हाशिम के साथ उनका एक रिश्तेदार असरुद्दीन भी थे. उन दोनों ने देशभर के अमनपसंद लोगों से मुद्दे पर आवाज़ उठाने की उम्मीद जताई. 26 तारीख को ईद के मौके पर भी वे इस मुद्दे को केंद्र में रखकर अपना विरोध जता रहे हैं तथा जुनैद के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. उनपर हमला करने वाले लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उन्हें सज़ा मिले. उन्होंने हमें बताया कि कई संगठनों और नुह मदरसा ने इस बार ईद के मौके पर विरोध जताते हुए काली पट्टी बांधकर नमाज़ पढ़ने का फैसला लिया है. वे चाहते हैं इस मामले को लेकर दिल्ली व अन्य जगहों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दें, आवाज़ बुलंद करें; क्योंकि यह मामला जुनैद जैसे तमाम मासूमों का है जिसकी हिंसा और उन्माद द्वारा आये दिन हत्याएं हो रही हैं. समाज में और देश में ज़हर बोया जा रहा है.
बल्लभगढ़ से लौट कर
संदीप सौरभ (महा सचिव आइसा)
जीशान अहमद (भाकपा माले दिल्ली)
गीता कुमारी (आइसा नेता , जे .एन. यू.)
अनिल (भाकपा माले, हरियाणा)
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