दिल्ली चुनावों में छात्र-युवाओं का घोषणा पत्र

साथियों,
आने वाले दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए एक बार फिर से बड़ेबड़े वादों की भरमार लगनी शुरू हो गई है. वायदों का ऐसा शोर हमें ठीक 6 महीने पहले लोकसभा चुनावों में भी सुनाई पड़ा था. 6 महीने पहले एक सरकार छात्र युवाओं के लिए शिक्षारोजगार, महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान, भ्रष्ट्राचार कम करने, 100 दिन में काला धन वापस लाने और विकास के नाम पर आई थी. लेकिन दिल्ली के लगभग 40 लाख छात्रयुवाओं की आबादी के लिए नतीजे तो दूर की बात, कोई ठोस पहलकदमी भी दिखाई नहीं पड़ रही है। इन अहम सवालों पर पहलकदमी के बजाय यह सरकार युवाओं को नफरतगर्दी की आग में झोंक रही है और वैज्ञानिक व तर्कपूर्ण षिक्षा को हटाकर अंधविश्वास वाली शिक्षा को बढ़ावा दे रही है। कई महत्वपूर्ण षिक्षण संस्थाओं की नियुक्तियों में जमकर तिकड़में करके अच्छी अकादमिक प्रतिभा वाले लोगों को निषाना बनाया जा रहा हैजैसा कि हम आईआईटी डाइरेक्टर व एनसीईआरटी डाइरेक्टर के मामले में देख सकते हैं। वहीँ तमाम धांधलियां करने वाले डीयू वीसी जैसे लोग सत्ता के चापलूस बनकर पद की मलाई चाट रहे हैं। षिक्षण संस्थाओं के बड़े पदों पर बहालियां विचारधारा के पिछलग्गू होने के पैमाने पर की जा रहीं हैं। एक ओर सरकार जहां बुरी तरीके से ज्यादा शिक्षा और स्वास्थ्य की दुकानों को बढ़ावा देने में लगी है, वहीं शिक्षास्वास्थ्यरोजगार जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक जरूरतों के बजट खर्च में कटौती की जा रही है। 2014-15 के संषोधित बजट में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में लगभग 7000 करोड़ रू और षिक्षा में 11000 करोड़ रू की कटौती हो रही है।
आज दिल्ली के छात्रयुवाओं की समस्याओं पर बात करें तो कालेजों की कमी, कॉलेज आनेजाने के लिए परिवहन की समस्या, दिल्ली के बाहर से आये छात्रों के लिए हॉस्टल्स और रूम रेंट, महिलाओं की सुरक्षा , छात्रवृत्ति, रोजगार की जानकारी देने व तैयारी करने वाले सरकारी प्रबंध, रोजगार के अवसर व रोजगार में सम्मानजनक वेतन की गारंटी, दिल्ली के गरीबवंचित छात्रों के लिए हॉस्टल्स और प्राइवेट कालेजों व कोचिंगों की आसमान छूती कीमतों जैसी ढेर सारी समस्याएं साल दर सालों से जस की तस बनी हुयी हैं. आज यह एकदम जरूरी हो चला है कि भ्रष्ट्राचार, 16 दिसंबर के बाद महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान और दिल्ली विश्वविद्यालय में एफवाईयूपी के मुद्दों पर चले आंदोलनों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले छात्रयुवा आने वाले विधानसभा चुनावों में इन ढेर सारी समस्याओं पर भी जनजागरण अभियान में जाएं और यह ठान लें कि इन सारे मुद्दों को आने वाले चुनावों के प्रमुख मुद्दे बनाकर रहेंगे। हम आपसे अपील करते हैं छात्रयुवाओं के घोषणा पत्र अभियान का हिस्सा बनकर अपने अहम मुद्दों से जुड़ी नीचे लिखी मांगों की आवाज को बुलंद करें

  1. नए काॅलेजः कम कालेजों की समस्या पर कदम उठाते हुए दिल्ली में तुरंत नए कालेज खोले जाएँ, जिससे दिल्ली का हर एक छात्र एक सुविधाजनक ढंग से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का हक हासिल कर सके और ज्यादा फीस देने या करसपांडेन्स में पढ़ने को मजबूर न हो.

  2. सस्ता व सुलभ परिवहनः आनेजाने के लिए कालेजों के रुट पर बसों की संख्या बढ़ाई जाये। स्टूडेंट्स के लिए बनने वाला बस पास सभी तरह की बसों (ऐसी/नॉनऐसी) में लागू हो. कालेजों के पास के मेट्रो स्टेशनों से कालेजों तक मेट्रो फीडर बसें चलाई जाएं। मेट्रो में भी स्टूडेंट्स पास की सुविधा दी जाए.

  3. सभी छात्रों के लिए हाॅस्टलः दिल्ली के बाहर से आये छात्रों व दिल्ली के दूरदराज के इलाके के हरएक छात्र के लिए कालेजों में हॉस्टल मुहैया कराया जाये।

  4. रूम रेंट पर नियंत्रणः बेतहाषा बढ़े रूम रेंट से दिल्ली में किराए पर रह रहे परेशान छात्रयुवाओं की संजीदा जरुरत को देखते हुए दिल्ली में तुरंत कानून बनाकर रूम रेंट को नियंत्रित किया जाये।

  5. नस्लीय भेदभाव के खिलाफ कानूनः नस्लीय भेदभाव व हिंसा के सवाल पर तुरंत नस्लीय भेदभाव व हिंसा विरोधी कानून लाया जाए और ऐसे मामलों की शिकायत के लिए कालेजों में शिकायत समितियां (नस्लीय व क्षेत्रीय भेदभाव विरोधी) बनायीं जाएँ।

  6. यौन हिंसा के खिलाफ महिलाओं की आजादीः महिलाओं के लिए स्पेशल बसों को चलाया जाए विषषकर इवनिंग काॅलेजों में. सभी कालेजों में एंटीसेक्सुअल हरैसमेंट कमेटी बनाई जाएं. सक्षम गाइडलाइन-2013 के आधार पर समुचित इन्तेजाम करके महिलाओं की 24 घण्टे की आवाजाही को सुनिश्चित किया जाये और सुरक्षा के नाम पर लगाई जाने वाली भेदभावपूर्ण बंदिषों, जैसे कि हाॅस्टल टाइमिंग्स आदि को खत्म किया जाए।

  7. प्लेसमेंट सेलः सभी कालेजों में सक्रिय व प्रभावी प्लेसमेंट सेल मुहैया कराई जाए. रोजगारों की जानकारी से लेकर उनके लिए तैयारी कराने के पर्याप्त अवसर कालेजों में ही उपलब्ध कराये जाएं।

  8. छात्रवृत्तिः वंचित तबके से आने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की सुविधाओं को मजबूत बनाया जाए व इनका दायरा बढ़ाया जाए. दिल्ली में पढ़ाई कर रहे वंचित तबके के तमाम छात्रों के लिए वेलफेयर हॉस्टल्स की संख्या को बढ़ाया जाए.

  9. स्थाई शिक्षण नियुक्तियां: सभी शिक्षण संस्थाओं के खाली पड़े पदों को तुरंत भरा जाए. शिक्षण जैसे गंभीर कार्य से ठेकाकरण (कोंट्रक्ट्युलाइजेशन) एकदम खत्म किया जाए.

  10. कानूनी रूप से सम्मानजनक वेतन, रोजगार के हक व सुरक्षित भविष्य की गारंटीः सरकारी क्षेत्रों में रोजगार कम होते जा रहे हैं। आईबीपीएस व यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में भेदभावपूर्ण नियम लागू हो रहे हैं और इनके अवसरों में कटौती की जा रही है। निजी क्षेत्र में काम रहे लोगों के लिए कागजों पर निष्चित वेतनमान (जोकि आज की मंहगाई को देखते हुए बहुत कम है) रखा गया। उदाहरण के लिए क्लर्क और गैर तकनीकी पर्यवेक्षक स्टाॅफ के लिए हर सूचीगत रोजगार मेंः 9542 रू. (बिना हाईस्कूल पास के लिए), 10478 (हाईस्कूल पास और स्नातक के नीचे), 11414 (स्नातक और उससे उपर)। लेकिन कागजों में लिखे इस छोटे से वेतनमान के नियम को भी माना नहीं जाता। औद्योगिक क्षेत्रों में हालत और भी खराब है। लेकिन सरकार भारीभरकम गैर संगठित क्षेत्र में इन्हें लागू करने के लिए कोई भी नियामक कार्यवाही नहीं करती और तमाम युवाओं को असुरक्षा व अपमान से भरे माहौल में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
    सरकार तुरंत इन नियमों का उल्लंघन रोके और काम कर रहे युवाओं के लिए बढ़ती मंहगाई के अनुपात में वेतन को बढ़ाया जाए. सरकार हर एक साल पर व्हाइट पेपर लाकर बताए कि कितने रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए और आगे क्या स्थिति रहेगी।

  11. प्राइवेट कोचिंगों में फीसों पर नियंत्रणः दिल्ली में धड़ल्ले से फीसें वसूल रहे कोचिंग सेंटरों व निजी स्कूलकालेजों की फीसों व उनके संचालन को सरकार प्रभावी कानून लाकर नियंत्रित करे.

  12. तर्कपूर्णवैज्ञानिक षिक्षाः सरकार यह सुनिश्चित करे कि पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रम एक ठोस शोध और आने वाले कल की प्रगति पर आधारित हों न कि अंधविश्वास व समाज को पीछे धकेलने वाली मान्यताओं पर.

आइए इन सभी मुद्दों पर दिल्ली विधानसभा में भाग ले रही सारी पार्टियों की जवाबदेही सुनिष्चित कराने के लिए एकजुट हों। सस्ती, समान, तर्कपूर्ण व अच्छी षिक्षा, सस्ते परिवहन व रहने की व्यवस्था, महिलाओं की आजादी व सुरक्षा और सम्मानजनक रोजगार के लिए छात्रयुवा ऐजेण्डे को मजबूत करें।

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